
⚠️... Readers ek सप्ताह बाद पार्ट आएंगे,, और ch 25 मे wo पार्ट जोड़ दी जिससे अनु राहुल की पिटाई कैसे करी वो नहीं था, आप पढ़ skte है,,
वो मैं note मे likh कर यहाँ अपलोड करती hu तो थोड़ी मिस्टेक हो गयी थी,, सॉरी.. 😔🙏,,
अब आगे... 👉
शिव सभी को बताता हैं की कल रात क्या हुआ था और कैसे अनु ने राहुल को चोर भैया समझ कर ,अंधेरे में टॉर्च से वार पर वार करी थी , और उसका तबला बाजी डाली थी, बिना देखे हुए, जिसके चलते उसको चोट लगी, और ये पहाड़ का टीला लेकर घूमने कि नौबत आ गयी।
ये सुन कर सभी के मुँह हैरानी में खुले के खुले रह गए, वो सब कभी अनु को ,तो कभी राहुल को देंखते, एक नाजुक लड़की, एक उससे दुगने शरीर वाले लड़कों को मार कर टीला उगा दी,
सबको एक दम चुप होकर अपने ऊपर नजर को महसूस करते अनु डर से कांपने लगी, सब के प्रतिक्रिया उसे डरा रहे थे। शिव जिस सोफे पर बैठा, अनु उसको मजबूती से पकड़ी हुई , हिम्मत बटोर रही थी, शिव उसके हर हाव भाव के अपनी तिरछी नजरों से देख रहा था।
सच में उसकी पत्नी किसी भी चीज से बहुत जल्दी डर जाति हैं, लेकिन वह चेहरे पर कठोर भाव लिए एक पैर पर दूसरा पैर चढ़ाया हुआ,शांति से सबके चेहरे को देख रहा था। वह अनु के डर को बिल्कुल भी कम नहीं किया, उसे पता था की अभी क्या होगा, यहां उसकी पत्नी को कोई डांटेगा नहीं, बल्कि राहुल का मजाक जरूर बनेगा। इसलिए तो वो सब कुछ साफ साफ सभी को बता दिया ,पर ये बात उसकी पत्नी को नहीं पता थी।
अचनाक से तभी पूरे लीविंग रूम में ठहाके गूंज उठी, राहुल, शिव, और अनु को छोड़ कर बाकि सभी अपने पेट पकड़ कर हसने में लगे थे ,और वही अनु सबको उलझन में देख कर समझने की कोशिश कर रही थी, ऐसा भी उसके ठाकुर साहब क्या बोल दिए, जो उन सभी के हँसी नहीं रुक रहे है,
वह अपने ठाकुर साहब के दोस्त को मारी थी, फुले से स्वागत नहीं करी थी, फिर इसमें क्या हसना " किसी को मारने के बाद ,लोग सुन कर हँसते हैं मुझे क्यों नहीं पता, मैं यहां डाट सुनने के लिए खुद को तैयार कर रही थी, और ये सब ऐसे हँस रहे जैसे कोई चुटकुला सुना हो , हे भगवान जी…! क्या है ये सब, किस बात पर गुस्सा होते है समझ ही नहीं आते "
अनु मन में बेवकूफ की तरह बाल खुजला दी कि फुआ जी अपनी हँसी को रोकते हुए, अनु के उलझन भरे चेहरे को देखते हुए बोली, "अरे बेटा हमलोग इसलिए हँस हैं, तुमने राहुल को चोर समझ कर मारा, फिर उससे माफी भी मांगी और उसे चोरी नहीं करने के भी ज्ञान दे डाली, तुम कितनी भोली हो, और ये लड़का शान्ति से पिट भी गया तुमसे ,,, हाहाहाहा "
फूआ जी के बाद सोना भी हँसते हुए अनु को देख कर बोली ,
"भाभी माँ, आप इतनी बहादुर हो और होशियार हो की आप एक चोर भैया से डर कर भागी नहीं बल्कि उसको ही मारने लगी, और मारी भी इतना कि राहुल भैया के सुंदर चेहरे का नक्शा बदल दी, आप दिखने में नाजुक हो, पर शायद ही नहीं हो… हम सब तो बेकार ही आपके शरीर को देख कर चिंता करते है "
अनु सोना की बात सुनकर शर्मिंदा होते हुए नीचे सिर गड़ा दी समझ नहीं आये कि हँसे या रोये, ये सब उसकी तरीफ कर रहे है या मज़ाक उठा रहे है...
"वैसे भाभी माँ …आपने सबसे ज्यादा वार कहा किए थी…? ,जो राहुल भईया के केवल एक तरफ का माथे पर पहाड़ का टीला उठा हुआ हैं "
"ज …ज…जी …व …वो… मैं …ज्यादा अंधेरे में देख नहीं पाई थी और डर से बिना रुके बस मारने में लगी रही,…टॉर्च लोहा का था तो उनके माथा पर ज्यादा चोट लग गई ,मुझे सच में लगा था की कोई चोर ही है जो इतनी रात को आया हैं " अनु हकलाते हुए रात के बारे में शर्मिंदा होते हुए जवाब दी, उसके आवाज में ढेर सारी शर्मिंदगी भरा हुआ था, जिन्हें सभी कोई भांप लिए थे।
" भाभी अपने से बड़े और मजबूत कद काठी वाले इंसान को, एक टॉर्च से मार कर उसका सुंदर चेहरा बंदर के जैसा कर दिये है , सच में काफी ताकतवर हो आप …" आदि हँसते हुए राहुल का मजाक उड़ाते हुए बोला, विश्वास नहीं हो रहा था की उसके राहुल भैया जो अपने आप एक हीरो समझते हैं ,वो उसकी भाभी के हाथों पिट गए , और जो चेहरे पर हमेशा इतराते है उसका नक्शा पूरी तरह से बिगाड़ दि है।
राहुल चुप बैठ कर सबकी बात सुन रहा था उसे पता था उसका कमीना दोस्त जानबूझ कर, उसका मजाक उड़ाने के लिए सभी को बताया है,
"आप सब तो ऐसे तारिफ कर रहे हैं जैस मैं कितना अच्छा काम कि हूँ , जबकि राहुल भैया को मेरी वजह से चोट लग गई, उनको दर्द हो रहा होगा.... " अनु धीमी आवाज में राहुल के लिए परेशान होकर कही।
"बहुरिया तुम तो इसको इतना ही पिट कर परेशान हो रही हो, मैं होती तो इसकी हड्डी तोड़ कर रखती, दादी जी राहुल को घूरते हुए बोलि ।
"दादी , मेरा हड्डी क्यों तोड़ती, मैंने क्या किया हैं… "? राहुल दादी जी की बाते सुनकर अविश्वास से पूछा,, किसी बच्चे की तरह मचलते हुए, उसके प्यारी दादी उसको पीटेंगी ऐसा तो कभी नहीं हुआ।
"हां … इतना पिटती कि बिस्तर पर से उठ नहीं पाते , इतनी रात को बिना बताए कौन आता है, आए भी तो चोर और डाकू बनकर , जिससे मेरी बहुरिया को डराया " , दादी जी राहुल को गुस्सा में घूरते हुई बोलि , वो उसके आने पर खुश तो हुई, लेकिन शायद नाराज भी लग रही थी।
"पर मैंने किया क्या हैं…आप सीधे मुझे बिस्तर पर सुलाने की धमकी दे रही है ," राहुल उलझन में उनको देखते हुए पुछा ,
"तुमने वो किया जो एक दोस्त और एक दादी के पोता हो कर नहीं करना चाहिए था। यहां जरूरत थी तो तुम नहीं थे, मुझे ये बताओ की शिव की शादी में क्यों नहीं आया था। पता हैं तुम्हे शिव को अकेले सब कुछ संभालना मुश्किल हो गया था। जब तुम्हे पता था की शिव की शादी में दोस्त और भाई के नाते सबसे ज्यादा जरूरत तुम्हारा था तो क्यों नहीं आए..." दादी जी कही ,
जिसे सुनकर राहुल दांतो तले जीभ काट लिया। दादी जी का नाराज होना वाजिब था, राहुल के नहीं आने पर बहुत ज्यादा दुखी हुए थी, राहुल भी उनके घर का एक अहम सदस्य है, जो उसके नहीं आने पर वो नाराजगी दिखा रही थी।
"दादी… मुझे माफ कर दीजीए…, मैं शिव के शादी में नहीं आ पाया, मैं विदेश जाने से पहले शिव को बता कर गया था, की मैं शादी में नहीं रहूंगा, मैं चाहता था रहना, मेरा इकोलता दोस्त की शादी थी, फिर भी मैं नहीं रह पाया, मुझे भी अच्छा नहीं लगा,लेकिन मेरा जाना जरूरी था, किसी के जीवन का सवाल था और मैं एक डॉक्टर होने के नाते, मैं किसी को मरते हुए नहीं देख सकता , फिर भी मैं वहां पर अपना काम जल्दी खत्म करके,शादी के समय आने की कोशिश किया, लेकिन वहा पर अस्पताल में ही एक और हादसा हो गया, जिस वजह से मैं नहीं आ पाया… "
राहुल दादी जी के पैरों में सामने बैठ कर उनको प्यार से अपनी बात समझता हैं। उसके नहीं आने के कारण को शिव भी सुना, आखिर बोल कर गया था कि शादी दिन आ जाएगा लेकिन नहीं पहुंचा, जो चिंता की बात थी, दादी जी को भी बता कर गया लेकिन दादी जी फिर भी पूछी, असली कारण जानकर वो तुरंत माफ भी कर दी, आखिर कार उनका पोता बहुत ही अच्छा काम करता था।
" अब आपकी चोट कैसी हैं, ज्यादा तो नहीं लगा था , मैं कुछ लगाने के लिए लाऊं?" अनु पछतावा हुए में पूछी जब सभी कोई शांति से राहुल का हालचाल लेने लगे।
राहुल सिर घुमा कर अनु को देखा, वो मासूम लड़की अभी भी उसके लिए परेशान हुई है, वह मुस्कुरा कर आश्वस्त करते हुए उसे परेशान होने के लिए नहीं कहा, राहुल साफ देख सकता था जब से अनु उसको पीटी हैं, तब से उसके लेकर परेशान हो गई है। और बार बार शर्मिंदा होकर उदास हो जाती, जो उसके सुंदर चेहरे पर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था, राहुल के साथ सभी घरवालों बोले कि परेशान होने कि जरूरत नहीं है, और वो ठीक है, तब जाकर अनु के दिल पर से शर्मिंदगी का बोझ कम हुआ,
" आप लोग बाते करो मैं, नाश्ता टेबल पर लगाती हूँ ,और मैं राहुल भैया के लिए चाय भेजती हूँ ……!" अनु बोल कर सारे खाली कप उठा कर शिव को दिखते हुए रसोई में चली गई।
वहीं शिव भी उसको अपनी तिरछी नजरों से जाते हुए उसके कमर को लचकते देखता रहा , उसके रसोई में जाते ही शिव अपनी नजर को घुमाता है तो राहुल के नजरो से उसके नजर मिल जाते हैं, जो उसको अपने आंखों से इशारे करते हुए छेड़ रहा था। पर शिव की एक तीखी नजर तुरंत उसको अच्छा बच्चा बना कर बैठा दिया। कोई उसे छेड़े, ऐसा होने दे नहीं सकता।
" राहुल जब तुम अंधेरे में घर में आ ही गई थे तो, सीधे अपने कमरे में जाते न अनु बेटी के पिछे क्यों गए और उसका नतीजा ये हुआ कि तुम्हे अपना मुखड़ा बिगाड़ना पड़ा " फुआ जी भी राहुल के चेहरे का मजाक उड़ा कर हँसते हुए पूछी।
तभी रसोई से राहुल को चाय लाकर,पारो देती है, और बिना राहुल को देखे वापस भी चली गई, जबकि राहुल के नजर उस लड़की पर कुछ पल के लिए जम गए थे, वह सिर झटकते हुए चाय का घूंट लेते हुए बोला
"फुआ जी …मैं अपने कमरे में ही जाने वाला था, लेकिन मुझे अंधेरे में किसी की कदम की आवाज पड़ी तो मैं उसको देखने के लिए, पिछे जाने लगा। पर तभी अनु जल्दी से घूम कर मेरे ऊपर हमला पर हमला करने लगी, और मुझे संभालने का मौका भी नहीं मिला,
पहले तो मै अपने बचाव में उसे मारने के लिए तैयार था लेकिन चूड़ी की आवाज सुनकर समझ गया कि कोई लड़की ही मुझे मार रही है, इसलिए मैं बस बेचारे कि तरह पीटता गया, और खुद को बचाने की कोशिश करता रहा, लेकिन फिर भी सकल बिगड़ ही गया " राहुल नौटंकीय ढंग से अपनी बात खत्म किया और अपने पहाड़ उठे पर हाथ फेराया
"तो तुम्हें कैसा पता चला की वो शिव की पत्नी हैं…"? दादी जी पूछी,
" जब शिव नीचे आया था, और लाइट जलाया,तो अनु जल्दी से भाग कर शिव के पिछे ही छिपी थी, और शिव भी शान्ति से उसको अपने पिछे छुपा कर रखा था, वह उसके कुर्ते को किसी बच्चे की तरह पकड़ी हुई, सुरक्षित महसूस करते हुए उसके पीछे छुपी हुई थी, अपको तो पता हैं, शिव अपने पास किसी लड़की को बर्दास्त नहीं करता था, केवल सोना को छोड़ा कर। तभी मैं समझ गया था कि शिव के पिछे छिपी लड़की शिव की पत्नी ही हो सकती हैं। जिससे कुछ दिन पहले उसकी शादी हुई है, वहीं होगी, बाद में पता चल ही गया था " राहुल चाय का चुस्की लेते शिव को देखते हुए कहाँ , जबकि सभी ध्यान से सुने
लेकिन शिव अपना सिर अखबार में खपा दिया था। उसे कुछ भी सुनने का इराधा बिल्कुल भी नहीं था। लेकिन एक बार रात वाली मंजर दिमाग़ मे जरूर घूमे कि उसका जबड़ा भींच गया।
राहुल कल रात को ही शिव के स्वभाव को अनु के प्रति गौर से देखा था और बहुत कुछ सोचा भी, उसे कुछ तो अजीब बदवाल शिव के अंदर दिखा , जिसको पहले कभी नहीं देखा,उसका दोस्त उसे शायद बदला हुआ दिखा,
"और आदि तुम्हें भी पता चल गया होगा की मैं उन मर्दो में से नहीं हूँ जो ताकतवर हो कर किसी लड़की पर हाथ उठाते हैं, इसलिए मेरा मजाक उड़ाना बंद करो बच्चू " ?! राहुक आदि के गाल पर थपकी देते हुए बोला जिससे आदि भी अपनी मुंडी समझदारी से हिला दिया,
कुछ देर चुपी के बाद राहुल बोला ।
"वैसे शिव के लिए अपको इतनी मासूम बच्ची कहा से मिली, बहुत ही प्यारी है, लेकिन आप इस शैतान से शादी करा दी, मुझे तो उसके लिए बुरा लग रहा हैं। कैसे रहती होगी बेचारी बच्ची, भगवान जी भी बहुत बुरा करते है अच्छे के साथ…"" राहुल, अनु के लिए दुखी होने का नाटक करते हुए झुटमुट का अपने आंसू पोछता हैं। और कनखी से शिव को देखा जो बुरी तरह उसे घुर कर देख रहा,,
शिव का तो खून उबाल मारने लगा, एक और मिल गया उसकी पत्नी को उससे दूर करने वाला, " कल रात इसी गधे की वजह से सोना के कमरे में झूट बोल कर सोने चले गई थी, और अभी उसी को बच्चा कह रहा है,खुद करनी करो फिर उदास होकर आपनी आंसू बहाओ, साले कमिना दोस्त आते ही मेरी पत्नी को मुझ से दूर करने लगा हैं, और उसको मासूम बच्ची कह रहा हैं,जैसे सच मे है, मुझे हर समय बैचेन करती,, अपनी लापरवाही से मुझे परेशान करती हैं... जो ऊपर से मासूम दिखता है न उतना ही बेवकूफ और छोटा दिमाग का होता हैं, इस गद्दे को भी मुझे अपनी पत्नी से दूर रखना होगा पता नहीं क्या क्या सीखा देगा उसे और …" शिव राहुल को घूरते हुए ही बड़बड़ाया, अगर राहुल को पता चला कि वह किसी की बातों में आकर जल्दी विश्वास करती है तो पता पता नहीं उसे क्या क्या पढ़ा कर उसकी मासूम पत्नी के दिमाग भरेगा। शिव को डर था उसका कमीना दोस्त जरूर उसे परेशान करने लिए कुछ कर सकता है,,
उसे पता था की उसका दोस्त एक नंबर का शरारती और मजाक करने वाला इंसान हैं, पेशे से डॉक्टर, उसी का उम्र का, दोनों साथ में ही बड़े हुए थे, लंगोटिया यार, दोनों एक दूसरे से भाई से भी ज्यादा प्यार करते , लेकिन चिढ़ाना और तंग करना दोनों तरफ से बराबर होते, एक दूसरे से कम नहीं वाला खेल खेलते, शिव जहां कम बोलता वहीं राहुल ज्यादा बोलता, जिस वजह से वह उसे परेशान करते रहता, उसके बिना कहे शब्दों को समझ जाता , कि उसके अंदर क्या चल रहा हैं, और शिव भी उसे कुछ नहीं छुपाता , लेकिन शिव चाहें तभी राहुल शिव को समझता था, अगर शिव नहीं चहता की उसको कोई समझे तो, पूरे जीवन नहीं समझ पता की उसके जहन में क्या चल रहा हैं। और वह क्या सोच रहा है, राहुल उसका दोस्त था तो हमदर्द भी था,
"क्या तुम कुछ ज्यादा नहीं बोल रहे हो…" , शिव अपने दमदार चेतवानी भरे लहजे में राहुल को घूर कर बोला, राहुल सुनकर मुँह ऐंठ दिया, जबकि सब शांत बैठ जाते हैं , राहुल भी आगे कुछ नहीं बोलता। उसके दोस्त के कहे शब्दों में कुछ छिपा हुआ था जिसे वह समझ गया।
तभी अनु सारा खाना टेबल पर लगा कर सबको बुलाती हैं। सब वहां से उठ कर खाने की टेबल पर अपनी कुर्सी पर बैठ जाते हैं। वहीं अनु सबके प्लेट में खाना परोसने लगती, शिव के गिलास में संतरे का जूस डाल कर आगे सरकाती हुई ,, उम्मीद से देखी, लेकिन शिव उसे बिना देखे पूरी तरह से अनदेखा करते हुए खाने पर ध्यान लगाया।
अनु उदासी से उसके बगल में खड़ी हो गई,, खड़ा हुए ये सोचने में लगी जैसे ही ठाकुर साहब नाश्ता खत्म कर ऊपर जाएंगे, तो उसी समय वो भी अपनी गलती की माफी मांगने चली जाएगी, वरना उसे रात तक मौका नहीं मिलेगा,
अनु शांति से खड़ी सोच रही थी कि उसकी तंद्रा राहुल की आवाज से टूटी।
"अनु बच्चा क्या खाना बनाया हैं तुमने, मैंने आज तक ऐसा खाना कभी नहीं खाया हैं, क्या डाल कर ऐसा बनाती हो,, पता हैं जब मैं विदेश में था तो मुझे घर की खाने की बहुत याद आती थी । पर वहा पर एक भारतीय खाना नहीं मिलता , वैसे आज लगता हैं सब शिव के पसंद के बने हैं। क्या बात हैं शिव तुम तो रोज खाते होंगे ऐसे खाना आज मेरे लिए सब छोड़ दो। टमाटर की चटनी तो शिव की पसंदीदा है और उसके साथ आलू पराठा…मम्ममम …… क्या सवाद हैं……"
राहुल बड़े से टेबल पर साही खाना को चखते हुए तारिफ पर तारिफ किए जा रहा था, और साथ ने अजीब अजीब तरह से मुंह भी बना कर खा रहा जिसे देख कर सबके चेहरे पर मुस्कान बनी हुई थी, आखिर वह भी कायल हो ही गया उसके हाथ के बना खाना खा कर, उसको देख कर कोई नहीं कह सकता था की, 28 साल का एक डॉक्टर हैं जो अभी बच्चो की तरह हाथ चाटते हुए खा रहा था।
अनु फीकी सी मुस्कान देकर अपने ठाकुर साहब को देखि, जो केवल खाने पर ध्यान केंद्रित किया था, पर उसके कान राहुल की सभी बात सुनी , वो मन ही मन गर्व से फूल गया, उसकी पत्नी कितनी भी भोली , बेवकूफ और मासूम हो लेकिन कुछ चीज उसमे ऐसी हैं की सबको चकित कर देता था। इसलिए तो सब कोई उसकी तारिफ करते नहीं थकते, और अब वह भी मन में करने से नहीं थकता था,
अनु अपने ठाकुर साहब के सामने फल का सलाद, जो एक कटोरा भर कर रखा हुआ था उसे रख देती है, शिव, हैरानी में उसकी आंखें में देखते हुए सवाल करता हैं। जिसे देख कर अनु समझ गई की उसके ठाकुर साहब क्या पूछ रहे हैं।
"ठाकुर साहब …, आप सुबह में फल ज्यादा खाते हैं ना, आप … अभी तक एक टुकड़ा भी नहीं खाए है, और ये दाल भी नहीं पिए हैं…" अनु बहुत ही धीमी आवाज में कही, उसे बहाना चाहिए था कुछ भी बोलने का ताकि उसके ठाकुर साहब कुछ तो बोले,
शिव तो बस उसको देखता ही रह गया, इतना हक से कभी नहीं बोली वह भी नजर में देख कर " ये इसको हुआ क्या है, खुद तो गई तो सोने, मैं अभी तक कुछ बोला भी नहीं है, आज से पहले , मेरे सामने आने पर, मुंह बंद कर केवल अपनी गर्दन नीचे किए हुए, किसी गुड़िया की तरह रहती थी। और आज मेरे आंखो में देखे कर मुंह से बोल रही हैं,..." वो हैरान भी हुआ और मन ही मन खुश हुआ, पर उसके चेहरे को देख कर अनु उदास हो गई, जब शिव उसके कहने पर कुछ नहीं बोला
अनु सबको देखते हुए, फिर से अपनी जगह पर खड़ी हो जाति हैं, लेकिन शिव फिर से वही खाता हैं जो पहले खा रहा था, वह पिघलने या उसे बात करने के लिए बिल्कुल भी जहमत नहीं दिखा रहा था।
कुछ देर में वैसे ही शिव खाना खा कर, कमरे में चला गया, ये देख अनु यहां पर पारो को दोनों भाई और बहन का लंच बॉक्स देने के लिए और टेबल साफ करने के लिए बोल कर शिव के पिछे भागते हुए जाति हैं, शिव लंबा कदम लेटे हुए, कमरे में पहुंच कर बैग में फाइल डालने लगा था की तभी अनु दरवाजा बंद करते हुए, उसके पीछे आकर, सांसों को काबू करते हुए बोली
" ठाकुर साहब .... "
शिव अचानक से पिछे मुड़ता हैं, लेकिन चौंकता नहीं है, उसे पता था वह उसके पीछे भागते हुए आई है, उसकी पायल और चूड़ियां सब चुलबुली कर देती है, वो अनु को देखा जो परेशान हांफते हुए खड़ी थी। शिव कुछ बोलता की अनु अपनी गुड़िया वाला पतली होठों से बिना रुके बोले लगी। ताकि शिव को उसको रोकने का मौका ना मिले और वो उसकी बात भी सुन ले।
"ठाकुर साहब…, मुझे माफ कर दीजीए, मैं कभी भी आपकी बातो को नजर अंदाज नहीं करूंगी। आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करूंगी, बस आज आखिरी बार माफ कर दीजिए, कल रात जब आप ने लाइट जलाए तो आपने अपने दोस्त को पहचान लिए थे, फिर भी मुझे आगे बोलने से नहीं रोका और मैं उनको बार बार चोर और डाकू बोल कर आपके और राहुल भैया सामने मैं अपने आप को शर्मिंदा करती चली गई, मुझे लगा था की आप मुझे अपने दोस्त के सामने बेवकूफ, और पागल बना रहे हैं, और आप ने मुझे उनके सामने बहुत जोर से डाटा भी था, इसलिए मै गुस्सा हो गई थी, नहीं तो मेरा झूठ बोल कर सोना के कमरे में जाने का कोई इरादा नहीं था, मैं अंदर से कुंडी भी लगा दी थी कि जिससे आप कमरे में नहीं आ पाए,, मै तो बस बहाना बनाई थी । ताकि आप जल्दी से हमारे कमरे चले जाएंगे तो मैं बिना आपके डाट सुने , सोना के कमरे में चली जाऊंगी। इससे आप भी गुस्सा नहीं होने और मुझे भी नहीं डाटेंगे। मैं सच कह रही हू अपने भगवान जी की कसम …" अनु रोते हुए अपने गले पर हाथ रख कसम खाती हुई शिव को अपने बात पर यकीन दिलाने की कोशिश करती हैं। " आप कृपया करके मुझे माफ़ कर दीजिए… " वह आँखों में आँसू लिएमासूमियत से बोली। लेकिन शिव उसको शांति से देखता रहा, जिस पर अनु आगे बोली,
"आप मुझे जो सजा देंगे मुझे मंजूर हैं, लेकिन आप मेरे से नाराज नहीं होए न,मुझे अच्छा नहीं लग रहा हैं, आप मुझे माफ कर दीजीए... मैं आपके पैर पकड़ कर भी माफी मांग लुंगी आप जो बोलोगे मैं वो करूंगी... लेकिन.. ऐसे..." अनु रोते हुए शिव को माफी के लिए उसके पैर को पकड़ने के लिए भी झुकने लगती हैं। अनु इतना अपने में हताश हो गई थी कि डर से कदमों में भी गिरने को तैयार हो गई,
उसके झुकने से पहले ही उसकी बाहों को कस कर पकड़ उसको सीधा खड़ा करता हैं। अनु देखी उसके ठाकुर साहब के आँखें गुस्से लाल होने लगा , उसे समझ नहीं आए कि ऐसे क्यों,क्या उसे अब भी माफ़ी नहीं मिली या फिर से कोई गलती कर दी,, लेकिन इसे देख कर वो और डर गई ,, सब उससे खराब ही क्यूँ हो रहा है, उसके आंसू और निकलने लगे,,
" अनु … आज ऐसे बाते और हरकत कर रही हो, फिर कभी भी ऐसा नहीं करूंगी, मेरे पैरो में या किसी की भी पैरों में आज के बाद नहीं झुकोगी समझी... " शिव कुछ देर तक रुक कर गुस्से से देखा, फिर बोला " केवल उनके पैरो में झुकोगी जिसे तुम दिल से अपना मानती हो , आई बात समझ में !…" शिव अपनी भूरी आंखों से घूरते हुए हर एक शब्द को दृढ़ता से कहते हुए, उसे देखा
उसके गुस्से को देख, अनु झट से गर्दन हिला दी,ज्यादा समझ तो नहीं आये लेकिन इतना पता चला कि उसका झुकना ठाकुर साहब को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया,,
उसके गुस्से से भरे आंखों और माथे की नशे फटने को तैयार थे, अनु को उसको देख, अभी मौत का देवता दिखा, उसके हर चीज उसके ठाकुर साहब को गुस्सा दिला रही थी,उससे अब कुछ बोला नहीं गया, उसका दिल डर से धक धक करने लगा, वह कांटे की तरह, अपने ठाकुर साहब के कठोर बाहों में कैद थी, उसकी मासूम आँखों में और आँसू लबलबा कर गालों में लुढ़क रहे थे।
शिव को ये बिल्कुल भी पसंद नहीं आया की उसकी पत्नी उसके पैर छुए, किसी भी गलती के लिए उसके कदमों में गिरे, अनु उसके आधा अंग थी , फिर वो कैसे उससे अपना पैर छुआ सकता हैं , बराबर का रिश्ता था उनका, गलती अनु करी तो वह भी उसे बहुत डराया था, जिस वजह से उसकी गलती को माफ करने में उसे समय नहीं लगे जब उसकी गलती माफी नुमा को सुना, लेकिन जैसे ही उसके आखिरी बात को सुना, उसका उतरा बुखार, सिर पर चढ़ गए थे,
शिव अभी उसे बहुत मासूम और भोली होने के लिए डांटना चाहता था, लेकिन उसके पीले जैस आंखो में आंसू देख गुस्से को काबू कर उससे सख्ती से पूछा।
"जब तुम मुझसे नाराज हुई,तो मुझे क्यों नहीं बताया? उसे उसी लहजे में फिर से पूछा , अभी वह उसके व्यवहार से नाराज ही था।
अनु झूट नहीं बोल रही थी। वह बहुत भोली और मासूम हैं। बस इतनी नादान और बेवकूफ हैं की पति पत्नी के रिश्ते कैसे और क्या करना होता हैं। उसे इसके बारे में ज्यादा नहीं पता था। लेकिन शिव के सारे काम और घर का सारा काम करती थी। उसके लिए अपने ससुराल में जा कर यहीं करना हैं उसकी माँ कहती थी। अनु तो सबके मुंह से पति पत्नी के रिश्ते के बारे में सुनी थी जिसे उस बात के पिछे मतलब और गंभीरता समझी नहीं थी, और वह अपने पूरे जीवन में केवल ठाकुर साहब, एक लड़के थे जिसके करीब वो गई थी ,उसके साथ होने से उसे कुछ अजीब सा होता , दिल की धड़कन बढ़ती तो, डर से कभी कांपने लगती, दिल करता कही दूर भाग जाए, मगर सुरक्षित भी महसूस करती, ,
उसके लिए ये एहसास नया और अजनबी था, जिस वजह से वह शिव से शर्मा, डर कर दूर ही रहती,लेकिन अब उसको समझ आ गया था कि अपने पति से शर्म हो ,या डर हो, या नाराजगी, कभी भी दूर नहीं भागना हैं, बल्कि पास रह कर ही सामना करना होगा, कल रात भी उसे नहीं भागना चाहिए था, बल्कि सामने रह कर ही सामना करना चाहिए था
"क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था की जब मैं तुमसे कुछ पुछु तो मेरी तरफ देख कर बोलो …?" उसने अनु की चेहरे को पकड़ कर ऊपर करते हुए बोला, जब अनु नज़रे झुका चुकी थी, कोई जवाब नहीं दी तो।
उसने धीरे से अपनी नजर को उठा कर उसके आंखों में देखी जो चिंता, दुःख और उदासी जैसी कई भावनाओं से भरी हुई थी ,
"मुझे माफ कर कर दीजीए… मैं इस बारे में गंभीरता से नहीं सोची थी,, अब जब मुझे सब कुछ स्पष्ट रूप से समझ आ गया है, तो मैं अब से आपको हर बात मानूंगी, दूर जाने की कोशिश नहीं करूंगी… " उसने अपनी प्यारी आंखों से देखते हुए धीमी आवाज में दृढ़ता पूर्वक कही, जिससे शिव के दिल पिघल गया। लेकिन अपना संयम बनाए रखा, वो इतना कमज़ोर नहीं हैं। पर अनु की आंखो में वो ताकत हैं, जो शिव को नरम पड़ने पर मजबूर कर ही देता था।
शिव उसके मासूम आंखों में देखते हुए बोला
"ठीक है… माफ किया तुम्हें, दोबारा मेरे से झूट या बहाना बनाकर मुझे चकमा देने की कोशिश भी करी , तो मैं इस बार की तरह दोबारा माफ नहीं करूंगा, दोबारा मै किसी मौका नहीं देता समझी, कुछ भी कहने का ?!, शिव ठाकुर अपने बात से कभी भी पिछे नहीं हटता हैं याद रखना तुम। लेकिन तुम्हारी सजा, वो तुम्हे मिलेगी जरूर ताकि दुबारा कुछ करने से पहले मेरी सजा को सोच को याद कर लेना …" वह हल्की शैतानी मुस्कान होंठो पर सजाए हुए आखिरी बात को बोला कि
अनु धमकी सुन घबरा गई। उसके शरीर में सिरहन दौड़ गए, उसे लगा कि उसके ठाकुर साहब उसको अभी भी माफ नहीं किए हैं, इसलिए सजा मिलेगी, फिर भी आंखों में हिम्मत करके बोली, " मैं आपके हर सजा को से गुजरने के लिए तैयार हूँ…बस ऐसे चुप कभी मत होयेगा …"
शिव को उसकी बात सुन कर सुकून मिला, बड़ी आज्ञाकारी पत्नी है उसकी,, हर एक बात में हां में हां मिलती है बस कल रात को ही चालाकी कर दी थी,
"हम्मम… ठीक है……… मैं दफ्तर जा रहा हूँ मुझे आने में लेट हो जायेगा , तो खाना खा कर रात को जल्दी सो जाना… " शिव बैग उठाते हुए बोला , जिसे सुनकर अनु अपनी गर्दन हिला दी,, अब जाकर उसके दिल खुश सुकून मिला था,
से उसके राहत वाले चेहरे को दिखा,और थोड़ा करीब उसके गया, अचनाक से उसकी झलकती कमर पर हाथ रखा, की अनु के मुँह से आवाज निकालता हैं अपने तरीके से
"आहहहहहहहहहहहहहहहहहह मांअअअअअ ……"
अनु जोर से चीखती हुई कमर पर हाथ रख दी,, उसकी आंखें हैरानी से चौड़ी हो गई,, वह अविश्वास से अपने ठाकुर साहब को देखी,लेकिन शिव शैतानी मुस्कान मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर निकल गया,, उसको दर्द देकर, उसका मूड जीतना कल रात को खराब हुआ था ,अनु की अभी दर्द भरी मादक आवाज सुन कर मन दिल और शरीर के हर अंग अंग खुश हो गए।
वही अनु आँखों में आँसू पोंछेते हुए शिव के पिछे निकल गयी, जब एहसास हुआ कि उसे भी बाहर जाने हैं,,उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसके ठाकुर साहब अचानक कुछ ऐसा कर देंगे, इस दर्द से तो अनु को अपने परनाना, परदादा की याद आ गई जिसको वो कभी देखी भी नहीं होगी , साथ में ठाकुर साहब के शैतानी हरकत भी देखने को मिला, कुछ देर पहले गुस्से से फुला हुआ चेहरा और अभी के शरारत किए हुए चेहरे को अगर अनु मिलाती तो वह सिरे से नकरते हुए कहते कि दोनों इंसान बिल्कुल अलग है,
"दुष्ट ठाकुर साहब …, आप बहुत बुरे हो…, भगवान जी आपको माफ नही करेंगे, देखना आप, मैं भी आपको ऐसे हि पेट के नाभि के पास जोर चिटी काटूंगी जिसे आपको भी दर्द होगा और पूरे महल में आपका आवाज गूंजेगा। तब आप भी उस दर्द को महसूस कीजिगा , जो अभी मुझे दिए है, " अनु चीड़ मे मन में बड़बड़ाते हुए, चारों को घर से विदा कर दी।
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कैसा लगा आज का पार्ट कमेंट करके बतायेगा प्यारे कहानी पढ़ाकू लोग।
हर हर महादेव 🙏🙏🙏🙏🙏

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