
“ साड़ी ऊपर, अपने टांगो को दोनों तरफ करते हुए, मेरे ऊपर बैठ.. " अर्जुन कर्कश आवाज में कहाँ,,
जिसे सुन पारो की सांसे थम गयी, ऐसे तो उसकी गीली पैंटी का पता चल जायेगा उसके ठाकुर जी को,,

“ साड़ी ऊपर, अपने टांगो को दोनों तरफ करते हुए, मेरे ऊपर बैठ.. " अर्जुन कर्कश आवाज में कहाँ,,
जिसे सुन पारो की सांसे थम गयी, ऐसे तो उसकी गीली पैंटी का पता चल जायेगा उसके ठाकुर जी को,,
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