
अर्जुन गुस्से speed se अपने गाड़ी को ले जाकर एक सुनसान जगह पर रोका,,झटका देते हुए,, पारो आगे को झुक गयी,, खुद गुस्से se पागल इंसान की तरह उतरा,, पारो को उतारने के लिए Apne darawane Khatarnak awaaz mein kaha,,पारो डरते हुए, पूजा की थाल रख,, निचे उतरी, इधर उधर देखते हुए,, samajhne ki koshish karen ki use kahan Lekar aya gaya hai,,use to ghar jaane थे,,, फिर yah kaun sa Jagah hai,, aur kaun sa Rasta hai,,,aur use Kyon Laya gaya hai,,,Uske man mein bahut se सवाल the,,Uska Dil Dar se Dhadak raha था,, लेकिन जवाब जानने के लिए मुंह से सवाल नहीं निकले,,
“ पीछे आ…” अर्जुन अपने डरावने आवाज में आदेश दिया,, पारो खोए हुए पिल्ले की तरह डर se धीमी कदम उठाते हुए चल दी,, उसके पास इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं था,, भागने का सोच नहीं सकती थी और उसके पास इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह कोई कदम उठाये,,



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