
“ इसे सिर्फ तेरे छेद मे जाने का रास्ता पता है …और तेरे अंदर जाने के लिए ही तैयार हो जाता है ” अर्जुन जबडे भींचे,, गुर्राया,
“ आह, बिल्कुल कसी हुई है तू … वो धीमी दबी आवाज मे फुसफुसाया,, उसकी कसी हुई दिवार से खुद को जड़का महसूस कर पागल हो गया,अभी तो वो एक बार झड़ चुके है, और उसके दिवार को बड़ा किया लेकिन वो फिर से कस गयी थी, जैसे पहली बार अंदर घुस रहा हो,,



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