
अर्जुन एक हाथ को उठा, पारो के हाथ को पकड़, अपना डिक पर रखा, उसे मुट्ठी मे भर दिया,, उसे बहुत गर्म महसूस हुआ, जैसे आग से निकला हो,, अर्जुन उससे उसकी योनि पर रगड़ा,,पारो की आँखे घूम गयी,,अर्जुन शैतान की तरह मुस्कुराया,, उसके गीले टोपे,, उसके योनि के लिप्स को अलग किये,, सहलाये,, —- फिर बिना चेतावनी के,, " इसे ऐसे घुसाते है …” कहते हुए, उसको निचे बैठा दिया,,
“ हे भगवान … ठाकुर जी … मर गयी मै …” उसकी चीख दीवारों को भी चिर दी,, सिर पीछे को झुक गया,,अर्जुन उसे मजबूती से पकड़ रहा,, बिना हिले हुए उसे देखता रहा,,,



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