
अगली सुबह,, ठाकुर हवेली में,,
सुबह के नौ बज गए, सूरज की किनारे सिर पर बहुत तेज निकली हुई थी,,चिड़िया की चाहचहट, बंद हो हुई, सुबह की सुहानी हवा भी अब गर्म हवा में बदल गयी,हर गाँव वाले की रोज के समय पर सुबह हुई,, लेकिन दो जिस्म कल रात जब एक जूनून,,श्रदा, वादे एक दूसरे को संतुष्ट करते हुए एक बने तो,,, उनकी सुबह इतने समय जाने के बाद भी नहीं हुई,,



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