
1 महीना बाद ,
अनु अपने कमरे से सबसे दूर एक साधारण से चटाई पर लेटी हुई अपने पेट को कसकर पकड़े हुए अपने असहनीय दर्द को सहने की कोशिश कर रही थी। वह न तो कमरे से बाहर निकल सकती हैं , और ना ही आराम से जमीन पर सो पा रही थी। दर्द इतना था कि जान जा रहे थे।


1 महीना बाद ,
अनु अपने कमरे से सबसे दूर एक साधारण से चटाई पर लेटी हुई अपने पेट को कसकर पकड़े हुए अपने असहनीय दर्द को सहने की कोशिश कर रही थी। वह न तो कमरे से बाहर निकल सकती हैं , और ना ही आराम से जमीन पर सो पा रही थी। दर्द इतना था कि जान जा रहे थे।

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