
" क्या हो तुम ?!. जब सबकी देख भाल करनी हो तो तुम सबसे आगे और जब कल रात तुम दर्द में थी तो एक गंदे कमरे में रहने के लिए चली गई। ऐसी ही नहीं मैं तुम्हें बेवकूफ, पागल , और छोटा दिमाग कहता हूँ ।पर हो तुम बहुत मासूम। एक दम छोटी बच्ची की तरह। मेरा दिमाग खाने के लिए " शिव उसके चेहरे को दिखते हुए मुसकुराता है। और उठने के लिए अपने हाथों को हिलाता तो उसके मुँह से हल्की सिसकी निकल जाती हैं। कल रात को जो बिस्तर का बलिदान देकर जमीन पर कभी ना सोए शिव ठाकुर, को आज उसका भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। दर्द होते कंधे से। पूरा शरीर अकड़ गए थे।

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